Notes संघवाद FEDERALISM 🇮🇳👭Cbse Class 10th POLITICS chapter 2 NOTES in Hindi medium हिंदी भाषा मे नोट्स Download pdf


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✍️संघवाद क्या है?


 संघवाद सरकार की एक प्रणाली है जिसमें सत्ता एक केंद्रीय प्राधिकरण और देश की विभिन्न घटक इकाइयों के बीच विभाजित होती है। एक महासंघ में सरकार के दो स्तर होते हैं। सरकारों के ये दोनों स्तर एक दूसरे से स्वतंत्र होकर अपनी शक्ति का आनंद लेते हैं।


 1. एक पूरे देश के लिए सरकार है जो आम तौर पर सामान्य राष्ट्रीय हित के कुछ विषयों के लिए जिम्मेदार होती है।


 2. प्रांतों या राज्यों के स्तर पर सरकारें जो अपने राज्य के दिन-प्रतिदिन के अधिकांश प्रशासन की देखभाल करती हैं।



 ✍️एकात्मक प्रणाली और संघीय प्रणाली के बीच अंतर


 🔮एकात्मक प्रणाली :-


 1:-सरकार का केवल एक ही स्तर होता है या उप-इकाइयाँ केंद्र सरकार के अधीन होती हैं।


 2:-केंद्र सरकार प्रांतीय या स्थानीय सरकार को आदेश दे सकती है।


 3:-केंद्र सरकार सर्वोच्च है, और प्रशासनिक प्रभाग केवल उन्हीं शक्तियों का प्रयोग करते हैं जो केंद्र सरकार ने उन्हें सौंपी हैं। केंद्र सरकार द्वारा उनकी शक्तियों को बढ़ाया और सीमित किया जा सकता है



 🔮संघीय व्यवस्था :-


 1:-सरकार के दो या दो से अधिक स्तर (या स्तर) होते हैं।


 2:-केंद्र सरकार राज्य सरकार को कुछ करने का आदेश नहीं दे सकती.


 3:-राज्य सरकार के पास अपनी शक्तियां होती हैं जिसके लिए वह केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होती है


 ✍️संघवाद की प्रमुख विशेषताएं

 संघवाद प्रणाली की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

 1. सरकार के दो या दो से अधिक स्तर (या स्तर) हैं।

 2. सरकार के विभिन्न स्तर एक ही नागरिक पर शासन करते हैं, लेकिन कानून, कराधान और प्रशासन के विशिष्ट मामलों में प्रत्येक स्तर का अपना क्षेत्राधिकार होता है।

 3. सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व और अधिकार की संवैधानिक गारंटी है।

 4. संविधान के मौलिक प्रावधानों को सरकार के एक स्तर द्वारा एकतरफा नहीं बदला जा सकता है। ऐसे बदलावों के लिए सरकार के दोनों स्तरों की सहमति की आवश्यकता होती है।

 5. न्यायालयों के पास संविधान और सरकार के विभिन्न स्तरों की शक्तियों की व्याख्या करने की शक्ति है। सरकार।

 6. सरकार के प्रत्येक स्तर की वित्तीय स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए राजस्व के स्रोत स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किए गए हैं।

 7. संघीय व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं:

 1) देश की एकता की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना

 2) क्षेत्रीय विविधता को समायोजित करें।


 ✍️विभिन्न मार्ग जिनके माध्यम से संघों का गठन किया जा सकता है संघवाद की संस्थाओं और अभ्यास के लिए दो पहलू महत्वपूर्ण हैं: विभिन्न स्तरों की सरकार के बीच आपसी विश्वास और एक साथ रहने का समझौता। दो प्रकार के मार्ग हैं जिनके माध्यम से संघों का गठन किया गया है।


 1. पहले मार्ग में स्वतंत्र राज्यों को एक बड़ी इकाई बनाने के लिए एक साथ आना शामिल है। इस प्रकार के "एक साथ आने वाले" संघ संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बनाए गए हैं।

 2. दूसरा मार्ग यह है कि एक बड़ा देश घटक राज्यों और राष्ट्रीय सरकार के बीच शक्ति को विभाजित करने का निर्णय लेता है। इस प्रकार के 'संघों को एक साथ रखने' का पालन भारत, स्पेन और बेल्जियम देशों में किया जाता है।



 ✍️भारत को एक संघीय देश क्या बनाता है?

 संघीय व्यवस्था की सभी विशेषताएँ भारतीय संविधान के प्रावधानों पर लागू होती हैं। भारतीय संविधान केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों का तीन गुना वितरण है। 3 सूचियाँ नीचे उल्लिखित हैं:



 1) संघ सूची: इसमें देश की रक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय शामिल हैं। इस सूची में उल्लिखित विषयों से संबंधित कानून केवल केंद्र सरकार ही बना सकती है।


 2) राज्य सूची: इसमें पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे राज्य और स्थानीय महत्व के विषय शामिल हैं। इस सूची में उल्लिखित विषयों से संबंधित कानून केवल राज्य सरकारें ही बना सकती हैं।

 3) समवर्ती सूची: इसमें केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों दोनों के सामान्य हित के विषय शामिल हैं। सूची में शिक्षा, वन, ट्रेड यूनियन, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार शामिल हैं। इस सूची में उल्लिखित विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं। यदि उनके कानून आपस में टकराते हैं तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून माना जाएगा। 


✍️संघवाद का अभ्यास कैसे किया जाता है?


 भारत में संघवाद की वास्तविक सफलता का श्रेय इसकी लोकतांत्रिक राजनीति की प्रकृति को दिया जाता है। भारत में संघवाद का अभ्यास करने के कुछ प्रमुख तरीकों पर एक नजर डालें। भाषाई राज्य भाषाई राज्यों का निर्माण भारत में लोकतांत्रिक राजनीति के लिए पहली और बड़ी परीक्षा थी। 1947 से 2017 तक, कई पुराने राज्य गायब हो गए और कई नए राज्य बनाए गए। राज्यों के क्षेत्र, सीमाएँ और नाम बदल दिये गये हैं। कुछ राज्यों का निर्माण एक ही भाषा बोलने वाले लोगों से हुआ है। इन राज्यों को भाषाई राज्य के नाम से जाना जाता है। भाषा नीति भारतीय महासंघ के लिए दूसरी परीक्षा भाषा नीति है। हिन्दी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। हिंदी के अलावा, 21 अन्य भाषाओं को संविधान द्वारा अनुसूचित भाषाओं के रूप में मान्यता दी गई है। राज्यों की भी अपनी आधिकारिक भाषाएँ हैं और सरकारी कामकाज संबंधित राज्य की आधिकारिक भाषा में होता है। केंद्र-राज्य संबंध केंद्र-राज्य संबंधों का पुनर्गठन एक और तरीका है जिससे व्यवहार में संघवाद को मजबूत किया गया है। यदि लोकसभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो प्रमुख राष्ट्रीय दल केंद्र में सरकार बनाने के लिए कई क्षेत्रीय दलों सहित कई दलों के साथ गठबंधन कर सकते हैं। इससे सत्ता की साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता के प्रति सम्मान की एक नई संस्कृति का उदय हुआ।


 ✍️भारत में विकेंद्रीकरण


 जब केंद्र और राज्य सरकारों से शक्ति छीनकर स्थानीय सरकार को दे दी जाती है, तो इसे विकेंद्रीकरण कहा जाता है। विकेंद्रीकरण के पीछे बुनियादी विचार यह है कि बड़ी संख्या में समस्याएं और मुद्दे हैं जिन्हें स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना सबसे अच्छा है। स्थानीय लोग भी सीधे निर्णय लेने में भाग ले सकते हैं। विकेंद्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम 1992 में उठाया गया था। लोकतंत्र के तीसरे स्तर को अधिक शक्तिशाली और प्रभावी बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया गया था। त्रिस्तरीय लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

 1. स्थानीय सरकारी निकायों के लिए नियमित चुनाव कराना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है।

 2. इन संस्थाओं के निर्वाचित निकायों और कार्यकारी प्रमुखों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं।

 3. सभी पदों में से कम से कम एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।

 4. प्रत्येक राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग बनाया गया है।

 5. राज्य सरकारों को स्थानीय सरकारी निकायों के साथ कुछ शक्तियां और राजस्व साझा करना आवश्यक है। साझा करने की प्रकृति अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।



 ✍️पंचायती राज व्यवस्था


 ग्रामीण स्थानीय सरकार को लोकप्रिय रूप से पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक गाँव, या कुछ राज्यों में ग्रामीणों के समूह में एक ग्राम पंचायत होती है। यह एक परिषद है जिसमें कई वार्ड सदस्य होते हैं, जिन्हें अक्सर पंच कहा जाता है, और एक अध्यक्ष या सरपंच होता है। वे किसी गाँव या वार्ड में रहने वाली सभी वयस्क आबादी द्वारा सीधे चुने जाते हैं। ग्राम पंचायत पूरे गाँव के लिए निर्णय लेने वाली संस्था है। पंचायत ग्राम सभा की समग्र देखरेख में कार्य करती है। गांव के सभी मतदाता इसके सदस्य हैं. इसे वर्ष में कम से कम दो या तीन बार बैठक करनी होती है और ग्राम के वार्षिक बजट को मंजूरी देनी होती है। जब ग्राम पंचायत को एक साथ समूहित किया जाता है, तो वे एक पंचायत समिति या ब्लॉक या मंडल बनाते हैं। पंचायत समिति प्रतिनिधि का चुनाव उस क्षेत्र के सभी पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है। एक जिले की सभी पंचायत समितियाँ या मंडल मिलकर जिला (जिला) परिषद का गठन करते हैं। लोकसभा के सदस्य, जिले के विधायक और अन्य जिला-स्तरीय निकायों के कुछ अन्य अधिकारी जिला परिषद के सदस्य हैं। नगर पालिकाएँ जिला परिषद (जिला स्तर) पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर) ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर) जैसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ग्राम पंचायतें हैं, वैसे ही हमारे पास शहरी क्षेत्रों के लिए नगर पालिकाएँ हैं। बड़े शहरों को नगर निगमों में गठित किया जाता है। नगर पालिकाओं और नगर निगमों दोनों को जनता के प्रतिनिधियों से युक्त निर्वाचित निकायों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। नगर पालिका अध्यक्ष नगर पालिका का राजनीतिक प्रमुख होता है। नगर निगम में ऐसे अधिकारी को महापौर कहा जाता है। स्थानीय सरकार की यह नई प्रणाली पूरे विश्व में लोकतंत्र में किया गया सबसे बड़ा प्रयोग है। स्थानीय सरकार को संवैधानिक दर्जा मिलने से हमारे देश में लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिली है। इससे हमारे लोकतंत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और आवाज भी बढ़ी है।




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CBSE SOCIAL SCIENCE CLASS 9th and 10th SYLLABUS in English medium 2023-24 DOWNLOAD LINK 📚👩‍🏫✍️

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🔮RATIONALE
 The main objectivess of this sylabus are to: 
It enables the students to understand the interdependence of individual and community. Social Science is a compulsory subject up to secondary stage of school education. It is an integral component of general education because it helps the learners to understand the environment in its totality. contextualise its components, develop a broader perspective, adapt an empirical, reasonable and humane outlook to help them grow into wellintormed and responsible citizens with necessary attributes and skills for being able to participate and contribute etectively in the process of development ent and nation-building. Social Science subject helps students strengthen their knowiedge of the wold around them, enhance their critical thinking skills, deepen their cultural understanding, in still analytical and evaluation and synthesizing skills, improve research based learning skills, and enhance their creative abilities. Makes students examine human behaviour trom many difterent perspectives and help students learn to analyse human interaction based on social and cultural intluences. The Social Science curriculum draws its content mainly trom History. Geography. Political Science and Economics. Some elements of Sociology and Commerce are also included. Together they provide a comprehensive view of society over space and time, and in relation to each other. Each subject's distinct methods of enquiry help the learners to understand society from different angles and fom a holistic view. Developing knowledge in each of these subjects provides students with a broader and more comprehensive understanding of how individuals and societies function. Social Science Syllabus Class IX & X 2023-24 Through the study ot History, students learn the significance of analysing historical events arnd using the past to evaluate modern trends and occurrences. Global History allows students to see the emergence of today's wordwide society. and enables the students to create projections on possible future outcomes of actions and events.  The discipline ot Social Sciences broadens an individual's political awareness and deepens the understanding of political systems. Examining past and current political conflicts can let students understand human life ona different level. 

🔮The main objectivess of this sylabus are to: 

-develop an understanding of the processes of change and development over a period of time, through which human societies have evolved.

- make learners infer that the process of change is continuous and any event or phenomenon or issue cannot be viewed in isolation but in a wider context of time and space. 

-develop an understanding of contemporary India with its historical perspective, ot the basic tramework of the goals and policies of national development in independent India, and ot the process of change in connection to world development 

-deepen nowledge about and understanding of India's freedom struggle and of the values and ideals that it represented, and appreciate the contritbutions made by people ot all sections and regions of the country. 

-" help learners understand and cherish the values enshrined in the Indian Constitution and to prepare them for their roles and responsitbilities as effective citizens of a democratic society. 

-deepen the knowledge and understanding of India's environment in its totality on people's life. 

-" facilitate the learners to understand and appreciate the diversity in the land and people of the country with its undertying unity. 

-develop an appreciation of the richness and variety of India's hertage-both natural and cultural and the need for its preservation. 

-promote an understanding of the issues and challenges ot contemporary India-environmental, economic and social, as part of the development process. 

-develop analytical to taco the chalenges of contemporary society as individuals and groups and learn critical thinking I skills/ ca skills, creative Skilis neip poPf liing a confident and stress-free lfe S acquire knowledge. skills and understanding as well as participating effectively in the community. 

-enable students to correlate the Social Science subjects through an interdisciplinary approach.

- explore their creativity and innovation through experiential and art integrated learning. 

-develop a develop scientific temperament by promoting the spirit of enquiry and tollowing a rational and objective approach in analysing and evaluate data and intormation as well as views and interpretations. 

-Develop academic and social skills such as critical thinking, ommunica wth others, taking initiatives and providing leadershin in Sohinn theeey bon in VIsual and verbal forms -cooperating " 

-develop qualities clustered around the personal, social, moral, national and spiritual values that make a person humane and social


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Notes SECTORS OF INDIAN ECONOMICS भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक cbse class 10th ECONOMICS chapter 2 notes in Hindi medium हिंदी भाषा मे नोट्स DOWNLOAD PDF 📚✍️

                          💰NOTES💰

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 ✍️ प्राथमिक क्षेत्र :


 जब हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करके अच्छा उत्पादन करते हैं। यह प्राथमिक क्षेत्र की एक गतिविधि है जिसे कृषि और संबंधित क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।


 ✍️माध्यमिक क्षेत्र :


 विनिर्माण के तरीकों के माध्यम से प्राकृतिक उत्पादों को अन्य रूपों में बदला जाता है। औद्योगिक क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। क्षेत्र। भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र तृतीयक क्षेत्र: ये गतिविधियाँ, अपने आप में, कोई अच्छा उत्पादन नहीं करती हैं बल्कि ये उत्पादन प्रक्रिया के लिए एक सहायता या समर्थन हैं। सेवा के नाम से भी जाना जाता है


 ✍️सकल घरेलू उत्पादन :


 किसी विशेष वर्ष के दौरान प्रत्येक क्षेत्र में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उस वर्ष के लिए क्षेत्र का कुल उत्पादन प्रदान करता है।


 ✍️ तृतीयक क्षेत्र का बढ़ता महत्व:


 -किसी भी देश में अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, रक्षा, परिवहन, बैंक आदि कई सेवाओं की आवश्यकता होती है।


 - कृषि और उद्योग के विकास से परिवहन, बैंकों जैसी सेवाओं के विकास की आवश्यकता है।


 -कृषि और उद्योग का विकास परिवहन, व्यापार, भंडारण जैसी सेवाओं के विकास को बढ़ावा देता है। वगैरह।


 - जैसे-जैसे आय का स्तर बढ़ता है, लोगों का एक निश्चित वर्ग पर्यटन, खरीदारी, निजी अस्पतालों और निजी स्कूलों जैसी कई और सेवाओं की मांग करने लगता है


 -पिछले एक दशक में कुछ नई सेवाएँ जैसे कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाएँ।


 ✍️प्रच्छन्न बेरोजगारी :


 काम के लिए जितने लोगों की जरूरत थी, उससे ज्यादा लोग काम में लगे रहे. लोग अपनी कार्यकुशलता से कम काम करते हैं।


 ✍️ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005


 -सरकार द्वारा साल में 100 दिन काम की गारंटी।


 -अगर सरकार रोजगार देने के अपने कर्तव्य में विफल रहती है।


 - इससे कर्मचारियों को रोजगार भत्ता मिलेगा।


 -भूमि के उत्पादन में सुधार हेतु दिये जाने वाले कार्यों के प्रकार


 ✍️संगठित क्षेत्र :


 -रोजगार की शर्तें नियमित हैं


 -सरकार द्वारा पंजीकृत


 -विभिन्न नियमों और विनियमों का पालन करता है


 -इसकी कुछ औपचारिक प्रक्रियाएँ और प्रक्रियाएँ हैं।


 ✍️ असंगठित क्षेत्र:


 -छोटी और बिखरी हुई इकाइयाँ जो काफी हद तक सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं।


 -नियम-कानून तो हैं लेकिन इनका पालन नहीं होता।


 -रोजगार सुरक्षित नहीं है.


 💰प्रश्न


 1.क्या आपको लगता है कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक में वर्गीकरण उपयोगी है? व्याख्या करना


 2. तृतीयक क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से किस प्रकार भिन्न है? कुछ उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।


 3.प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से एक-एक उदाहरण देकर समझाइए।


 4. "तृतीयक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है"। क्या आप सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिये।


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Social science CLASS 10th syllabus in Hindi language 2023-24📚👩‍🏫 सामाजिक अध्ययन पाठ्यक्रम हिंदी भाषा मे PDF 👩‍🏫📖📚

📚👩‍🏫Social science CLASS 10th syllabus 2023-24


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इतिहास(भारत और समकालीन विश्व-२)

1. युरोप मे राष्ट्रवाद का उदय

2. भारत में राष्ट्रवाद 

3. भूमंडीलिकृत विश्व का बनना 

4. ओध्योगिकरण का युग 

5. मुद्रण संस्कृती और आधुनिक दुनिया



भूगोल (समकालीन भारत-२)


1. संसाधन एवं विकास

2. वन्य एवं वन्यजीव संसाधन

3.जल संसाधन

4.कृषी

5.खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

6. विनिर्माण उद्योग

7. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाये 


राज्यशास्त्र( लोकतान्त्रिक राजनीती-२)


1. सत्ता की साझेदारी

 2.संघावाद 

 3.जाती धर्म औंर लैंगिक मसले

 4. राजनीतिक दल

 5. लोकतंत्र के परिणाम 



अर्थशास्त्र (आर्थिक विकास की समझ) 


1. विकास

2. भारतीय अर्थव्यवस्था 

3. मुद्रा और साख 

4. वैश्र्विकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था 

5. उपभोक्ता अधीकार ( for project only)
औचित्य

 इस पाठ्यक्रम के मुख्य उद्देश्य हैं:

 यह छात्रों को व्यक्ति और समुदाय की परस्पर निर्भरता को समझने में सक्षम बनाता है। स्कूली शिक्षा के माध्यमिक स्तर तक सामाजिक विज्ञान एक अनिवार्य विषय है। यह सामान्य शिक्षा का एक अभिन्न अंग है क्योंकि यह शिक्षार्थियों को पर्यावरण को उसकी समग्रता में समझने में मदद करता है। इसके घटकों को प्रासंगिक बनाएं, एक व्यापक परिप्रेक्ष्य विकसित करें, उन्हें विकास और राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने और योगदान करने में सक्षम होने के लिए आवश्यक गुणों और कौशल के साथ अच्छी तरह से सूचित और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करने के लिए एक अनुभवजन्य, उचित और मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं। सामाजिक विज्ञान विषय छात्रों को उनके आसपास की दुनिया के बारे में उनकी जानकारी को मजबूत करने, उनके महत्वपूर्ण सोच कौशल को बढ़ाने, उनकी सांस्कृतिक समझ को गहरा करने, अभी भी विश्लेषणात्मक और मूल्यांकन और संश्लेषण कौशल में, अनुसंधान आधारित सीखने के कौशल में सुधार करने और उनकी रचनात्मक क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करता है। छात्रों को कई अलग-अलग दृष्टिकोणों से मानव व्यवहार की जांच करने में मदद करता है और छात्रों को सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों के आधार पर मानव संपर्क का विश्लेषण करना सीखने में मदद करता है। सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम की सामग्री मुख्य रूप से इतिहास पर आधारित है। भूगोल। राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र. समाजशास्त्र और वाणिज्य के कुछ तत्व भी शामिल हैं। साथ में वे अंतरिक्ष और समय और एक-दूसरे के संबंध में समाज का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। प्रत्येक विषय की जांच के अलग-अलग तरीके शिक्षार्थियों को समाज को विभिन्न कोणों से और समग्र दृष्टिकोण से समझने में मदद करते हैं। इनमें से प्रत्येक विषय में ज्ञान विकसित करने से छात्रों को व्यक्तियों और समाजों के कामकाज की व्यापक और व्यापक समझ मिलती है। सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम कक्षा IX और X 2023-24 इतिहास के अध्ययन के माध्यम से, छात्र ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण करने और आधुनिक रुझानों और घटनाओं का मूल्यांकन करने के लिए अतीत का उपयोग करने का महत्व सीखते हैं। वैश्विक इतिहास छात्रों को आज के विश्वव्यापी समाज के उद्भव को देखने की अनुमति देता है। और छात्रों को कार्यों और घटनाओं के संभावित भविष्य के परिणामों पर अनुमान बनाने में सक्षम बनाता है। सामाजिक विज्ञान का अनुशासन व्यक्ति की राजनीतिक जागरूकता को व्यापक बनाता है और राजनीतिक प्रणालियों की समझ को गहरा करता है। अतीत और वर्तमान राजनीतिक संघर्षों की जांच से छात्रों को मानव जीवन को एक अलग स्तर पर समझने में मदद मिल सकती है।


 🔮इस पाठ्यक्रम के मुख्य उद्देश्य हैं:


 -समय-समय पर परिवर्तन और विकास की प्रक्रियाओं की समझ विकसित करें, जिसके माध्यम से मानव समाज विकसित हुआ है।


 - शिक्षार्थियों को यह अनुमान लगाना सिखाएं कि परिवर्तन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और किसी भी घटना या परिघटना या मुद्दे को अलग करके नहीं बल्कि समय और स्थान के व्यापक संदर्भ में देखा जा सकता है।


 -अपने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के साथ समकालीन भारत की समझ विकसित करें, स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों और नीतियों की बुनियादी रूपरेखा और विश्व विकास के संबंध में परिवर्तन की प्रक्रिया की समझ विकसित करें।


 -भारत के स्वतंत्रता संग्राम और इसके प्रतिनिधित्व वाले मूल्यों और आदर्शों के बारे में ज्ञान और समझ को गहरा करना, और देश के सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा किए गए योगदान की सराहना करना।


 -" शिक्षार्थियों को भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को समझने और संजोने में मदद करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक समाज के प्रभावी नागरिकों के रूप में उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के लिए तैयार करना।


 -लोगों के जीवन पर समग्रता में भारत के पर्यावरण के ज्ञान और समझ को गहरा करना।


 -" शिक्षार्थियों को देश की भूमि और लोगों की एकता के साथ विविधता को समझने और उसकी सराहना करने में सुविधा प्रदान करना।


 -भारत की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और विविधता की सराहना विकसित करें और इसके संरक्षण की आवश्यकता है।


 -विकास प्रक्रिया के हिस्से के रूप में समकालीन भारत के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों और चुनौतियों की समझ को बढ़ावा देना।


 -व्यक्तियों और समूहों के रूप में समसामयिक समाज की चुनौतियों से निपटने के लिए विश्लेषणात्मक विकास करना और आलोचनात्मक सोच/कौशल/सीए कौशल सीखना, रचनात्मक कौशल हासिल करना, एक आत्मविश्वासी और तनाव मुक्त जीवन जीना, ज्ञान प्राप्त करना। कौशल और समझ के साथ-साथ समुदाय में प्रभावी ढंग से भाग लेना।


 -छात्रों को अंतःविषय दृष्टिकोण के माध्यम से सामाजिक विज्ञान विषयों को सहसंबंधित करने में सक्षम बनाना।


 - अनुभवात्मक और कला एकीकृत शिक्षा के माध्यम से उनकी रचनात्मकता और नवीनता का पता लगाएं।


 - जांच की भावना को बढ़ावा देकर और डेटा और सूचना के साथ-साथ विचारों और व्याख्याओं के विश्लेषण और मूल्यांकन में तर्कसंगत और उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाकर एक वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करें।


 - अकादमिक और सामाजिक कौशल विकसित करें जैसे आलोचनात्मक सोच, दूसरों के साथ संवाद करना, पहल करना और दृश्य और मौखिक रूपों में सोहिन्न थेई बॉन में नेतृत्व प्रदान करना - सहयोग करना "


 -व्यक्तिगत, सामाजिक, नैतिक, राष्ट्रीय और आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़े गुणों का विकास करें जो व्यक्ति को मानवीय और सामाजिक बनाते हैं





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Notes MONEY AND CREDIT CBSE Class 10th ECONOMICS chapter 3 Notes in English medium ✍️👩‍🏫📚

                           📚  NOTES 📚
Notes MONEY AND CREDIT CBSE Class 10th ECONOMICS chapter 3 Notes in English medium ✍️👩‍🏫📚
  
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Notes MONEY AND CREDIT CBSE Class 10th ECONOMICS chapter 3 Notes in English medium ✍️👩‍🏫📚
  

              📚Money and Credit 📚

Barter System: Goods are exchanged without use of money. 

✍️Double Coincidence of wants : 

In exchange of goods both parties have to agree to sell and buy each others commodities. In a barter system double coincidence of wants is an essential feature. 


✍️Medium of Exchange : 

Money act as an intermediate in the exchange process. Currency is authorised by the government as medium of exchange. 

-People deposit extra cash with the banks by opening the bank account in their name. 

-The deposits in the bank accounts can be withdrawn on demand, these deposits are called demand deposits. 

-A check is a paper instructing the bank to pay a specific amount from the persons account to the person in whose name the cheque has been made. 

✍️Loan Activities of Banks: 

-Banks in India these days bold about 15% of their deposits as cash. 

-Kept as provision to pay the depositors who might come to withdraw money from the bank on any given day. 

-Bank use the major portion of the deposits to extend loans. 

-Difference between the interest rates is the main source of income for banks. 

✍️Terms of Credit: 

-Interest rate 

-Collateral 

-documentation requirement.

- the mode of repaymnent. 
the varying terms of credit in different credit arrangements. 


✍️Formal Sector Credit in India:

Loans from banks and co-operatives Functions of Reserve banks. 

-Issues currency notes on behalf of the central government. 

-RBI monitors the banks are actually maintaining cash balance. 

-RBI collect information from banks, how much they are lending to whom, at what interest rate etc. 

✍️Informal Sector Loans:

The informal lenders, traders, employerS, relatives and friends etc. 

-There is no organisation which supervise the credit activities of lenders. 

-They can lend at what ever interest rate they choose. 

-Their is no one to stop then from using unfair means to get their money back. 



🔮Questions: 

1. How does money solve the problem of double coincidence of wants? Explain with an example. 


2. What is check? How payments made with cheques? Explain with example. 

3. How does RBI control the functioning of other banks? Why it is important

 4. Why people take more loan from Informal Sector. 

5. Compare the employment conditions prevailing in the organised and unorganised sectors.

 6. Explain the objective of implementing the NREGA 2005. 


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Notes MONEY AND CREDIT मुद्रा एवं साख CBSE Class 10th ECONOMICS chapter 3 Notes in Hindi medium DOWNLOAD PDF✍️👩‍🏫📚

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                      📚मुद्रा एवं साख📚


वस्तु विनिमय प्रणाली: धन के उपयोग के बिना वस्तुओं का आदान-प्रदान किया जाता है।


 ✍️इच्छाओं का दोहरा संयोग :


 वस्तुओं के आदान-प्रदान में दोनों पक्षों को एक-दूसरे की वस्तुओं को बेचने और खरीदने के लिए सहमत होना पड़ता है। वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक विशेषता है।



 ✍️विनिमय का माध्यम :


 मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यवर्ती के रूप में कार्य करती है। मुद्रा को सरकार द्वारा विनिमय के माध्यम के रूप में अधिकृत किया गया है।


 -लोग अपने नाम से बैंक खाता खुलवाकर बैंकों में अतिरिक्त नकदी जमा करते हैं।


 -बैंक खातों में जमा राशि को मांग पर निकाला जा सकता है, इन जमाओं को डिमांड जमा कहा जाता है।


 -चेक एक कागज है जो बैंक को उस व्यक्ति के खाते से एक विशिष्ट राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है जिसके नाम पर चेक बनाया गया है।


 ✍️बैंकों की ऋण गतिविधियाँ:


 -भारत में बैंक आजकल अपनी जमा राशि का लगभग 15% नकदी के रूप में जमा करते हैं।


 -किसी भी दिन बैंक से पैसा निकालने आने वाले जमाकर्ताओं को भुगतान करने का प्रावधान रखा गया है।


 -बैंक जमा राशि का बड़ा हिस्सा ऋण देने के लिए उपयोग करते हैं।


 -ब्याज दरों के बीच अंतर बैंकों की आय का मुख्य स्रोत है.


 ✍️क्रेडिट की शर्तें:


 -ब्याज दर


 -संपार्श्विक


 -दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता.


 - चुकौती का तरीका.

 विभिन्न ऋण व्यवस्थाओं में ऋण की अलग-अलग शर्तें।



 ✍️भारत में औपचारिक क्षेत्र ऋण:


 बैंकों और सहकारी समितियों से ऋण रिजर्व बैंकों के कार्य।


 -केंद्र सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करती है।


 -RBI मॉनिटर करता है कि बैंक वास्तव में नकदी संतुलन बनाए रख रहे हैं।


 -आरबीआई बैंकों से यह जानकारी इकट्ठा करता है कि वे किसे कितना कर्ज दे रहे हैं, किस ब्याज दर पर दे रहे हैं आदि।


 ✍️अनौपचारिक क्षेत्र ऋण:


 अनौपचारिक ऋणदाता, व्यापारी, नियोक्ता, रिश्तेदार और मित्र आदि।


 -ऐसी कोई संस्था नहीं है जो ऋणदाताओं की ऋण गतिविधियों की निगरानी करती हो.


 -वे अपनी पसंद की किसी भी ब्याज दर पर उधार दे सकते हैं।


 -उन्हें अपना पैसा वापस पाने के लिए अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करने से रोकने वाला कोई नहीं है।




 🔮प्रश्न:


 1. धन आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को कैसे हल करता है? उदाहरण सहित समझाइये।



 2. चेक क्या है? चेक से भुगतान कैसे किया जाता है? उदाहरण सहित समझाइये।


 3. आरबीआई अन्य बैंकों के कामकाज को कैसे नियंत्रित करता है? यह महत्वपूर्ण क्यों है?


 4. लोग अनौपचारिक क्षेत्र से अधिक ऋण क्यों लेते हैं?


 5. संगठित और असंगठित क्षेत्रों में प्रचलित रोजगार स्थितियों की तुलना करें।


 6. मनरेगा 2005 को लागू करने का उद्देश्य स्पष्ट करें।





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Notes GlOBALISATION AND THE INDIAN ECONOMY cbse class 10th Chapter 4 Notes in English medium DOWNLOAD PDF✍️📚👩‍🏫

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✍️Various ways By which MNCs set up or control production in other countries 

-Set up production jointly with some of the local companies. Joint production provides money for additional investment and latest technology for produc tion.

- To buy up local companies and then expand production. 

-Place orders for production with small producers. 

-By settingup partnerships with local companies, by using the local companies for supplies, by closely competing with the local companies or buying them up, MNCs are exertinga strong influence on production at these distant loca tions. As a result, production in these widely dispersed locations is getting interlinked. 

✍️Foreign Trade and Integration of Markets : 

-Exchange of goods -purchase and sale -across geographical boundaries of the countries. 

-Goods travel from one market to another. 

-Choice of goods in the market rises. 

-Prices of similar goods in the two markets tend to become equal. 

-Producers in the two countries closely compete against each other even though they are separated by thousand of miles. Thus foreign trade results in connect ing the markets or integration of markets in different countries. 

✍️Trade Barriers and its importance: 

-Various restrictions which are used by the government to increase or decrease Foreign Trade. 

-Government uses trade barriers to increase or decrease Foreign Trade and to decide what kinds of goods and how much of each, should come into the cOuntry. 


✍️Special Economic Zones: 

-Setting up of industrial zones by the central and state governments to attract Foreign Companies to invest in India which have world class facilities, electric ity, water, roads, transport, storage, recreational and educational facilities.


✍️Impact of Globalisation in India : 

-Greater competition among producers -both local and foreign producers has been of advantage to consumers. 

- There is greater choice before these consumers who now enjoy improved quality and lower prices for several products.

- Foreign investment has increased. 

-Increased competition has encouraged top Indian Companies to invest in newer technology and production methods and raise their production standards.

- Globalisation has enabled some large Indian Companies to emerge as Multina tional. 

-Created new opportunities for companies providing services particularly those involving Information Technology. 


🔮✍️Questions : 

1.What are the various ways in which multinational companies set up, or control, production in other countries?

2. What is Foreign Trade? How does Foreign Trade lead to integration of markets across Countries?

3. What are trade barriers? Why does Government uses Trade Barriers? 

4. What are special economic zones? Why is the government setting up special economic zones? 

5. What is the impact of Globalisation in India? 



Notes GlOBALISATION AND THE INDIAN ECONOMY वैश्विकरन और भारतीय अर्थव्यवस्था cbse class 10th Chapter 4 Notes in Hindi medium DOWNLOAD PDF✍️📚👩‍🏫

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✍️विभिन्न तरीके जिनके द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अन्य देशों में उत्पादन स्थापित करती हैं या नियंत्रित करती हैं


 -कुछ स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन स्थापित करें। संयुक्त उत्पादन अतिरिक्त निवेश के लिए धन और उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक प्रदान करता है।


 - स्थानीय कंपनियों को खरीदना और फिर उत्पादन का विस्तार करना।


 -छोटे उत्पादकों को उत्पादन के लिए ऑर्डर दें।


 -स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी स्थापित करके, आपूर्ति के लिए स्थानीय कंपनियों का उपयोग करके, स्थानीय कंपनियों के साथ निकटता से प्रतिस्पर्धा करके या उन्हें खरीदकर, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इन दूर के स्थानों पर उत्पादन पर एक मजबूत प्रभाव डाल रही हैं। परिणामस्वरूप, इन व्यापक रूप से फैले हुए स्थानों में उत्पादन आपस में जुड़ रहा है।


 ✍️विदेश व्यापार और बाज़ारों का एकीकरण:


 -देशों की भौगोलिक सीमाओं के पार वस्तुओं का आदान-प्रदान -खरीद और बिक्री।


 -सामान एक बाजार से दूसरे बाजार तक जाता है।


 -बाज़ार में वस्तुओं की पसंद बढ़ती है।


 -दो बाजारों में समान वस्तुओं की कीमतें बराबर हो जाती हैं।


 -हजारों मील की दूरी होने के बावजूद भी दोनों देशों के निर्माता एक-दूसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा करते हैं। इस प्रकार विदेशी व्यापार के परिणामस्वरूप विभिन्न देशों के बाज़ारों का जुड़ाव या बाज़ारों का एकीकरण होता है।


 ✍️व्यापार बाधाएं और उसका महत्व:


 -विभिन्न प्रतिबंध जो सरकार द्वारा विदेशी व्यापार को बढ़ाने या घटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।


 - सरकार विदेशी व्यापार को बढ़ाने या घटाने के लिए और यह तय करने के लिए व्यापार बाधाओं का उपयोग करती है कि किस प्रकार का सामान और कितना प्रत्येक देश में आना चाहिए।



 ✍️विशेष आर्थिक क्षेत्र:


 -विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना, जिनमें विश्व स्तरीय सुविधाएं, बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भंडारण, मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएं हों।



 ✍️भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव :


 - उत्पादकों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा - स्थानीय और विदेशी दोनों उत्पादकों से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।


 - इन उपभोक्ताओं के सामने अधिक विकल्प हैं जो अब कई उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता और कम कीमतों का आनंद ले रहे हैं।


 - विदेशी निवेश बढ़ा है.


 -बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने शीर्ष भारतीय कंपनियों को नई तकनीक और उत्पादन विधियों में निवेश करने और अपने उत्पादन मानकों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।


 - वैश्वीकरण ने कुछ बड़ी भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है।


 - विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा किए।



 🔮✍️प्रश्न :


 1. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दूसरे देशों में उत्पादन स्थापित करने या नियंत्रित करने के विभिन्न तरीके क्या हैं?


 2. विदेश व्यापार क्या है? विदेश व्यापार किस प्रकार विभिन्न देशों के बाज़ारों के एकीकरण की ओर ले जाता है?


 3. व्यापार बाधाएँ क्या हैं? सरकार व्यापार बाधाओं का उपयोग क्यों करती है?


 4. विशेष आर्थिक क्षेत्र क्या हैं? सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र क्यों स्थापित कर रही है?


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Notes FEDERALISM 🇮🇳👭Cbse Class 10th POLITICS chapter 2 NOTES in English medium


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FEDERALISM 🇮🇳👭Cbse Class 10th POLITICS chapter 2 NOTES in English medium 

✍️What is federalism?

Federalism is a system of government in which power is divided between a central authority and various constituent units of the country. A federation has two levels of government. Both these levels of governments enjoy their power independent of the other. 

1. One is the government for the entire country that is usually responsible for a few subjects of Common national interest. 

2. Governments at the level of provinces or states that look after much of the day-to-day administering of their state. 


✍️Difference Between Unitary System and Federal System 

🔮Unitary System :- 

1:-There is only one level of government or the sub-units are subordinate to the Central Government. 

2:-The Central Government can pass on orders to the provincial or local government. 

3:-The central government is supreme, and the administrative divisions exercise only powers that the central government has delegated to them. Their powers may be broadened and narrOWed by the central government


🔮Federal System :-

1:-There are two or more levels (or tiers) of government. 

2:-The Central Government cannot order the state government to do something. 

3:-State Government has powers of its own for which it is not answerable to the central government

✍️Key Features of Federalism
 Some of the key features of federalism system are:
 1. There are two or more levels (or tiers) of government.
 2. Different tiers of government govern the same citizens, but each tier has its own JURISDICTION in specific matters of legislation, taxation and administration. 
3. The existence and authority of each tier of government is constitutionally guaranteed.
 4. The fundamental provisions of the constitution cannot be unilaterally changed by one level of government. Such changes require the consent of both the levels of government.
 5. Courts have the power to interpret the constitution and the powers of different levels of government. government.
 6. Sources of revenue for each level of government are clearily specified to ensure its financial autonomy. 
7. The federal system has dual objectives: 
 1) To safeguard and promote the unity of the country
  2)Accommodate regional diversity. 

✍️Different Routes Through Which Federations Can be Formed Two aspects are crucial for the institutions and practice of federalism: mutual trust between the government of different levels and agreement to live together. There are two kinds of routes through which federations have been formed. 

1. The first route involves independent States coming together on their own to form a bigger unit. This kind of "coming together" federations is formed in the USA, Switzerland and Australia. 
2. The second route is that a large country decides to divide power between the constituent States and the national government. This kind of 'holding together federations is followed in India, Spain and Belgium countries. 

✍️What Makes India a Federal Country?
 
All the features of the federal system apply to the provisions of the ndian Constitution. The Indian Constitution is a three-fold distribution of legislative powers between the Union Government and the State Governments. The 3 lists are mentioned below:
 
1) Union List: It includes subjects of national importance such as the defence of the country, foreign affairs, banking, communications and currency. The Union Governnment alone can make laws relating to the subjects mentioned in this list. 

2) State List: It contains subjects of State and local importance such as police, trade, commerce, agricuiture and irrigation. The State Governments alone can make laws relating to the subjects mentioned in this list. 
3) Concurrent List: It includes subjects of common interest to both the Union Government as well as the State Governments. The list includes education, forest, trade unions, marriage, adoption and succession. Both the Union as well as the State Governments can make laws on the subjects mentioned in this list. If their laws conflict with each other, the law made by the Union Government will be considered.

✍️How is Federalism Practised? 

The real success of federalism in India is attributed to its nature of democratic politics. Have a look at some of the major ways in which federalism is practised in India. Linguistic States The creation of linguistic States was the first and a major test for democratic politics in India. From 1947 to 2017, many old States have vanished and many new States have been created. Areas, boundaries and names of the States have been changed. Some States has been formed of the people who spoke the same language. These states are known as the Linguistic States. Language Policy A second test for Indian federation is the language pollcy. Hindi was identified as the official language. Besides Hindi, there are 21 other languages recognised as Scheduled Languages by the Constitution. States too have their own official languages and government work takes place in the official language of the concerned State. Centre-State relations Restructuring the Centre-State relations is one more way in which federalism has been strengthened in practice. If no single party gets a clear majority in the Lok Sabha, the major national parties can alliance with many parties including several regional parties to form a government at the Centre. This led to a new culture of power sharing and respect for the autonomy of State Governments. 

✍️Decentralisation in India

When power is taken away from Central and State governments and given to the local government, it is called decentralisation. The baslc idea behind decentralisation is that there are a large number of problems and issues which are best settled at the local level. Local people can also directly participate in the decision making. A major step towards decentralisation was taken in 1992. The Constitution was amended to make the third-tier of democracy more powerful and effective. Here are the key features of 3-tier democracy: 
1. It is constitutionally mandatory to hold regular elections to local government bodies. 
2. Seats are reserved in the elected bodies and the executive heads of these institutions for the Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes.
 3. At least one-third of all positions are reserved for women. 
4. State Election Commission has been created in each State to conduct panchayat and municipal elections.
 5. The State governments are required to share some powers and revenue with local government bodies. The nature of sharing varies from State to State. 


✍️Panchayati Raj System 

Rural local government is popularly known as Panchayati Raj. Each village, or a group of vllages in some States, has a gram panchayat. This is a council consisting of several ward members, often called panch, and a president or sarpanch. They are directly elected by all the adult population living in a village or ward. Gram Panchayat is the decision-making body for the entire village. The Panchayat works under the overall supervision of the Gram Sabha. All the voters in the village are its members. It has to meet at least twice or thrice in a year approve the annual budget of the gram When Gram Panchayat are grouped together, they form a Panchayat Samiti or Block or Mandal. The member of Panchayat Samiti representative are elected by all the Panchayat members in that area. All the Panchayat Samitis or Mandals in a district tOgether constitute the Zilla (district) Parishad. Members of the Lok Sabha, MLAs of the district, and some other officials of other district-level bodies are the members of Zilla Parishad. Municipalities Zilla Parishad (District Level) Panchayat Samiti (Block Level) Gram Panchayat (Village Level) As Gram Panchayat 0s for Rural areas, similarly we have Municipalities for urban areas. Big cities are constituted into Municipal Corporations. Both Municipalities and Municipal Corporations are controlled by elected bodies consisting of people's representatives. The Municipal Chairperson is the political head of the Municipality. In a Municipal Corporation such an officer is called the mayor. This new system of local government is the largest experiment in democracy conducted anywhere in the worid. Constitutional status for local government has helped to deepen democracy in our country. It has also increased women's representation and voice in our democracy. 











Notes POWER SHARING cbse class 10th POLITICS chapter 1 🧑‍🤝‍🧑👭 NOTES

Notes  POWER SHARING cbse class 10th POLITICS chapter 1 🧑‍🤝‍🧑👭 Notes in English medium                                                               

                                NOTES


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CBSE Notes Class 10 Political Science Chapter1 -Power Sharing 

In Class 9, you have studied that in a democracy all power does not rest with any one organ of the government. An inteligent sharing of power among the legislature, executive and judiciary is very important for the design of democracy. In this chapter, the idea of power sharing is explained in detail, drawing parallels between the stories of Belgium and Sri Lanka. Also, you willlearn the different forms of power sharing. 


✍️Story of Belgium Belgium 

is a small country in Europe with a population of over 1 crore, about half the population of Haryana. Of the country's total population, 59% speaks Dutch language, 40% of people speak French and the remaining 1% speak German. Look at the map below to know the language variation of Belgium. The minority French-speaking community was rich and powerful so they got the benefit of economic development and education. This created tensions between the Dutch-speaking and French speaking communities during the 1950s and 1960s. 



✍️Accommodation in Belgium In Belgium

the government handled the community difference very well. Between 1970 and 1993, Belgian leaders amended their constitution four times and came up with a new model to run the government. 



✍️Here are some of the elements of the Belgian model.

 1. Constitution prescribes that the number of Dutch and French-speaking ministers shall be equal in the Central Govemment. Some special laws require the support of the majority of members from each linguistic group. Thus, no single community can make decisions unilaterally. 
2. The state governments are not subordinate to the Central Government. 
3. Brussels has separate government in which both communities have equal representation. 4. Apart from the Central and the State Government, there is a third kind of government. This 'community government' is elected by people belonging to one language community -Dutch, French and German-speaking  no matter where they live. This government has the power regarding cuitural, educational and language-related issues. 

The Belgium model was very complicated but it helped to avoid civic strife between the two major communities. 


✍️Story of Sri Lanka 

Now, let's take a situation of another country, Sri Lanka. It is an island nation having a population of 2 crores, about the same as in Haryana. Sri Lanka has a diverse population. The major social groups are the Sinhala-speakers (74%) and the Tamil-speakers (18%). Among Tamils, there are two subgroups, "Sri Lankan Tamils" and "Indian Tamils". You can see the map below to know the population distribution of different communities of Sri Lanka. 

In Sri Lanka, the Sinhala community enjoyed the bigger majority and imp0sed its will on the entire country. 


✍️Majoritarianism in Sri Lanka 

Sri Lanka emerged as an independent country in 1948. The Sinhala community was in the majority so they had formed the government. They also followed preferential policies that favoured Sinhala applicants for university positions and government jobs. These measures taken by the government gradually increased the feeling of alienation among the Sri Lankan Tamils. Sri Lankan Tamils felt that constitution and government policies denied them equal political rights, discriminated against them in geting jobs and other opportunities and ignored their interests. Due to which the relationship between the Sinhala and Tamil communities become poor. Sri Lankan Tamils launched parties and struggles for the recognition of Tamil as an official language, for regional autonomy and equality of opportunity in securing education and jobs. But their demand was repeatedly denied by the government. The distrust between the two communities turned into widespread conflict and turned into a CIVIL WAR. As a result, thousands of people of both the communities have been killed. Many families were forced to leave the country as refugees and many more lost their livelihoods. The civil war ended in 2009 and caused a terrible setback to the social, cultural and economic life of the country. 



✍️What have you learned from the Stories of Belgium and Sri Lanka? 

* Both countries are democracies but they dealt differently with the concept of power sharing. 

* In Belgium, the leaders have realised that the unity of the country is possible only by respecting the feelings and interests of ditferent communities and regions. This resulted in mutually acceptable arrangements for sharing power. 

* Sri Lanka shows that, if a majority community wants to force its dominance over others and refuses to share power, it can undermine the unity of the country. 


✍️Why power sharing is desirable? 


You will find the answer to this question in the points below.
 1. Power sharing is good because it helps to reduce the possibility of conflict between social groups. 
2. The second reason is that, a democratic rule involves sharing power with those affected by its exercise, and who have to live with its effects. People have a right to be consuited on how they are to be governed. 

Let us call the first set of reasons Prudential and the second moral. The prudential reasons stress that power sharing will bring out better outcomes, whereas the moral reasons emphasise the act of power sharing as valuable. 

✍️Form of Power Sharing 

Most of you must think that Sharing power = dividing power = weakening the country. The similar thing was believed in the past. It was assumed that all the power of a government must reside in one person or group of persons located at one place. Otherwise, it would be very difficult to make quick decisions and to entorce them. But these notions have changed with the emergence of democracy. In a democracy, people rule themselves through institutions of self-government. Everyone hasa voice in the shaping of public policies. Therefore, in a democratic country, political power should be distributed among citizens. 



✍️modern democracies, power sharing can take many forms, as mentioned below:

 1. Power is shared among different organs of government, such as the legislature, executive and judiciary. This is called horizontal distribution of power because it allows different organs of government placed at the same level to exercise different powers. Such separation ensures that none of the organs can exercise unlimited power. Each organ checks the others. This arrangement is called a system of checks and balances. 

2. Power can be shared among governments at diferent levels -a general government for the

 3. Power may also be shared among dfferent social groups such as the religious and linguistic groups. 'Community govermment' in Beigium is a good example of this arrangement. This method is used to give minority communities a fair share in power. 

4. Power sharing arrangements can also be seen in the way polltical partles, pressure groups and movements control or influence those in power. When two or more parties form an alliance to contest elections and if they get elected, they form a coalition government and thus share power. entire country and governments at the provincial or regional level which is called federal government. 
 






Notes सत्ता की साझेदारी POWER SHARING cbse class 10th POLITICS chapter 1 🧑‍🤝‍🧑👭

Notes सत्ता की साझेदारी POWER SHARING cbse class 10th POLITICS chapter 1 🧑‍🤝‍🧑👭 Hindi भाषा मे नोट्स 


                          ✍️NOTES ✍️

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Notes सत्ता की साझेदारी POWER SHARING cbse class 10th POLITICS chapter 1 🧑‍🤝‍🧑👭



सीबीएसई नोट्स कक्षा 10 राजनीति विज्ञान अध्याय 1 - सत्ता की साझेदारी


 कक्षा 9 में आपने पढ़ा है कि लोकतंत्र में सारी शक्ति सरकार के किसी एक अंग के पास नहीं होती। लोकतंत्र के डिजाइन के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बुद्धिमानीपूर्ण बंटवारा बहुत महत्वपूर्ण है। इस अध्याय में, बेल्जियम और श्रीलंका की कहानियों के बीच समानताएं बनाते हुए, सत्ता साझेदारी के विचार को विस्तार से समझाया गया है। साथ ही, आप सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों को भी सीखेंगे।



 ✍️बेल्जियम की कहानी बेल्जियम


 यूरोप का एक छोटा सा देश है जिसकी आबादी 1 करोड़ से अधिक है, जो हरियाणा की लगभग आधी आबादी है। देश की कुल जनसंख्या में से 59% लोग डच भाषा बोलते हैं, 40% लोग फ्रेंच भाषा बोलते हैं और शेष 1% लोग जर्मन भाषा बोलते हैं। बेल्जियम की भाषा विविधता जानने के लिए नीचे दिए गए मानचित्र को देखें। अल्पसंख्यक फ्रांसीसी भाषी समुदाय समृद्ध और शक्तिशाली था इसलिए उन्हें आर्थिक विकास और शिक्षा का लाभ मिला। इससे 1950 और 1960 के दशक के दौरान डच भाषी और फ्रेंच भाषी समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया।




 ✍️बेल्जियम में आवास बेल्जियम में


 सरकार ने सामुदायिक अंतर को बहुत अच्छी तरह से संभाला। 1970 और 1993 के बीच, बेल्जियम के नेताओं ने अपने संविधान में चार बार संशोधन किया और सरकार चलाने के लिए एक नया मॉडल पेश किया।




 ✍️यहां बेल्जियम मॉडल के कुछ तत्व दिए गए हैं।


 1. संविधान में प्रावधान है कि केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या बराबर होगी। कुछ विशेष कानूनों के लिए प्रत्येक भाषाई समूह के अधिकांश सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, कोई भी समुदाय एकतरफा निर्णय नहीं ले सकता।

 2. राज्य सरकारें केंद्र सरकार के अधीन नहीं हैं।

 3. ब्रुसेल्स में अलग सरकार है जिसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है। 4. केंद्र और राज्य सरकार के अलावा एक तीसरी तरह की सरकार होती है. यह 'सामुदायिक सरकार' एक भाषा समुदाय -डच, फ्रेंच और जर्मन भाषी - के लोगों द्वारा चुनी जाती है, चाहे वे कहीं भी रहते हों। इस सरकार के पास cuitural, शैक्षिक और भाषा संबंधी मुद्दों के संबंध में शक्ति है।


 बेल्जियम मॉडल बहुत जटिल था लेकिन इससे दो प्रमुख समुदायों के बीच नागरिक संघर्ष से बचने में मदद मिली।



 ✍️श्रीलंका की कहानी


 अब दूसरे देश श्रीलंका का हाल लेते हैं। यह एक द्वीप राष्ट्र है जिसकी जनसंख्या लगभग 2 करोड़ है, जो लगभग हरियाणा के बराबर है। श्रीलंका की जनसंख्या विविध है। प्रमुख सामाजिक समूह सिंहली-भाषी (74%) और तमिल-भाषी (18%) हैं। तमिलों में, दो उपसमूह हैं, "श्रीलंकाई तमिल" और "भारतीय तमिल"। श्रीलंका के विभिन्न समुदायों का जनसंख्या वितरण जानने के लिए आप नीचे दिए गए मानचित्र को देख सकते हैं।


 श्रीलंका में, सिंहली समुदाय को बड़ा बहुमत प्राप्त था और उसने पूरे देश पर अपनी इच्छा थोप दी।



 ✍️श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद


 1948 में श्रीलंका एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। सिंहली समुदाय बहुमत में था इसलिए उन्होंने सरकार बनाई थी। उन्होंने अधिमान्य नीतियों का भी पालन किया जो विश्वविद्यालय पदों और सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों का पक्ष लेते थे। सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों से धीरे-धीरे श्रीलंकाई तमिलों में अलगाव की भावना बढ़ने लगी। श्रीलंकाई तमिलों को लगा कि संविधान और सरकारी नीतियों ने उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया, नौकरियां और अन्य अवसर प्राप्त करने में उनके साथ भेदभाव किया और उनके हितों की अनदेखी की। जिसके कारण सिंहली और तमिल समुदाय के बीच संबंध खराब हो जाते हैं। श्रीलंकाई तमिलों ने तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने, क्षेत्रीय स्वायत्तता और शिक्षा और नौकरियां हासिल करने में अवसर की समानता के लिए पार्टियां और संघर्ष शुरू किए। लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांग को बार-बार खारिज कर दिया गया। दोनों समुदायों के बीच अविश्वास व्यापक संघर्ष में बदल गया और गृह युद्ध में बदल गया। परिणामस्वरूप, दोनों समुदायों के हजारों लोग मारे गए हैं। कई परिवारों को शरणार्थी के रूप में देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और कईयों ने अपनी आजीविका खो दी। 2009 में गृहयुद्ध समाप्त हुआ और देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन को भयानक झटका लगा।




 ✍️बेल्जियम और श्रीलंका की कहानियों से आपने क्या सीखा?


 * दोनों देश लोकतांत्रिक हैं लेकिन वे सत्ता साझेदारी की अवधारणा से अलग-अलग तरीके से निपटते हैं।


 * बेल्जियम में, नेताओं ने महसूस किया है कि देश की एकता विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की भावनाओं और हितों का सम्मान करके ही संभव है। इसके परिणामस्वरूप सत्ता साझा करने के लिए परस्पर स्वीकार्य व्यवस्थाएँ बनीं।


 * श्रीलंका दिखाता है कि, यदि कोई बहुसंख्यक समुदाय दूसरों पर अपना प्रभुत्व थोपना चाहता है और सत्ता साझा करने से इनकार करता है, तो यह देश की एकता को कमजोर कर सकता है।





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NOTESThe Rise of Nationalism in Europe🌍 युरोप मे राष्ट्रवाद का उदय HISTORY chapter 1 CBSE Class 10th NOTES in Hindi medium PDF नोटस हिंदी मे

NOTESThe Rise of Nationalism in Europe युरोप मे राष्ट्रवाद का उदय HISTORY chapter 1 CBSE Class 10th NOTES in Hindi medium नोटस हिंदी मे PDF
                 
                  👩‍🏫🌍🌍📖✍️✍️✍️✍️.   

       
     यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

 1. 1848 में, एक फ्रांसीसी कलाकार, फ्रेडरिक सोरियू ने 'लोकतांत्रिक और सामाजिक गणराज्य, जैसा कि वह उन्हें कहते थे, से बनी दुनिया के अपने सपने को दर्शाते हुए चार प्रिंटों की एक श्रृंखला तैयार की।

 2. फ्रांसीसी क्रांति के समय के कलाकारों ने लिबर्टी को एक महिला छवि के रूप में प्रस्तुत किया।

 3. सोरियू की यूटोपियन दृष्टि के अनुसार, दुनिया के लोगों को अलग-अलग राष्ट्रों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें उनके झंडे और राष्ट्रीय पोशाक के माध्यम से पहचाना जाता है।

 4. यह अध्याय सोरियु द्वारा देखे गए कई मुद्दों से निपटेगा।

 5. उन्नीसवीं सदी के दौरान, राष्ट्रवाद एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरा जिसने यूरोप के राजनीतिक और मानसिक जगत में व्यापक परिवर्तन लाये।

 6. इन परिवर्तनों का अंतिम परिणाम यूरोप के बहुराष्ट्रीय राजवंशीय साम्राज्यों के स्थान पर राष्ट्र-राज्य का उदय था। 7. एक आधुनिक राज्य, जिसमें एक केंद्रीकृत शक्ति स्पष्ट रूप से परिभाषित क्षेत्र पर संप्रभु नियंत्रण रखती थी, यूरोप में लंबे समय से विकसित हो रहा था।

 8. लेकिन एक राष्ट्र-राज्य वह होता है जिसमें उसके अधिकांश नागरिक, और न केवल उसके शासक, सामान्य पहचान और साझा इतिहास या वंश की भावना विकसित करते हैं।

 9. यह अध्याय उन विविध प्रक्रियाओं पर गौर करेगा जिनके माध्यम से उन्नीसवीं सदी के यूरोप में राष्ट्र-राज्य और राष्ट्रवाद अस्तित्व में आए।










 फ्रांसीसी क्रांति और राष्ट्र का विचार🌍🌍🌍🌍🌍🌍


 1. राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हुई।

 2. फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप आए राजनीतिक और संवैधानिक परिवर्तनों के कारण राजशाही से संप्रभुता फ्रांसीसी नागरिकों के एक निकाय को हस्तांतरित हो गई।

 3. ला पेट्री (पितृभूमि) और ले सिटोयेन (नागरिक) के विचारों ने एक संविधान के तहत समान अधिकारों का आनंद लेने वाले एकजुट समुदाय की धारणा पर जोर दिया।

 4. एस्टेट जनरल को सक्रिय नागरिकों के निकाय द्वारा चुना गया और इसका नाम बदलकर नेशनल असेंबली कर दिया गया।

 5. आंतरिक सीमा शुल्क और बकाया समाप्त कर दिए गए और वजन और माप की एक समान प्रणाली अपनाई गई।

 6. क्रांतिकारियों ने आगे घोषणा की कि यूरोप के लोगों को निरंकुशता से मुक्त कराना फ्रांसीसी राष्ट्र का मिशन और नियति थी।

 7. शिक्षित मध्यम वर्ग के छात्रों और अन्य सदस्यों ने जैकोबिन क्लब की स्थापना शुरू की। 8. उनकी गतिविधियों और अभियानों ने फ्रांसीसी सेनाओं के लिए रास्ता तैयार किया जो 1790 के दशक में हॉलैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के अधिकांश हिस्सों में चले गए।

 9. फ्रांसीसी सेनाएँ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों तक ले जाने लगीं।

 10. राजशाही में वापसी के माध्यम से नेपोलियन ने निस्संदेह फ्रांस में लोकतंत्र को नष्ट कर दिया था, लेकिन प्रशासनिक क्षेत्र में उसने पूरी व्यवस्था को अधिक तर्कसंगत और कुशल बनाने के लिए क्रांतिकारी सिद्धांतों को शामिल किया था।

 11. 1804 के नागरिक संहिता - जिसे आमतौर पर नेपोलियन संहिता के रूप में जाना जाता है - ने जन्म के आधार पर सभी विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया, कानून के समक्ष समानता स्थापित की और संपत्ति का अधिकार सुरक्षित किया।

 12. नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और किसानों को भूदास प्रथा और जागीरदारी करों से मुक्त किया।

 13. परिवहन एवं संचार व्यवस्था में सुधार किया गया।

 14. व्यवसायियों और माल के छोटे पैमाने के उत्पादकों ने, विशेष रूप से, यह महसूस करना शुरू कर दिया कि समान कानून, मानकीकृत वजन और माप, और एक सामान्य राष्ट्रीय मुद्रा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में माल और पूंजी की आवाजाही और विनिमय की सुविधा प्रदान करेगी।

 15. हॉलैंड और स्विट्जरलैंड, ब्रुसेल्स, मेन्ज़, मिलान, वारसॉ जैसे कई स्थानों पर, फ्रांसीसी सेनाओं का स्वतंत्रता के अग्रदूत के रूप में स्वागत किया गया।

 16. यह स्पष्ट हो गया कि नई प्रशासनिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ नहीं चलीं।

 17. बढ़ा हुआ कराधान, सेंसरशिप, शेष यूरोप को जीतने के लिए आवश्यक फ्रांसीसी सेनाओं में जबरन भर्ती, ये सभी प्रशासनिक परिवर्तनों के लाभों से कहीं अधिक प्रतीत होते थे।       
यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण

 1. जर्मनी, इटली और स्विट्जरलैंड को राज्यों, डचियों और कैंटनों में विभाजित किया गया था जिनके शासकों के पास अपने स्वायत्त क्षेत्र थे।

 2. वे खुद को सामूहिक पहचान या साझा संस्कृति साझा करने वाले के रूप में नहीं देखते थे।

 3. हैब्सबर्ग साम्राज्य ने ऑस्ट्रिया हंगरी पर शासन किया।

 4. हंगरी में आधी आबादी मग्यार भाषा बोलती थी जबकि बाकी आधी आबादी ए बोलती थी

 विभिन्न प्रकार की बोलियाँ.🌍🌍🌍🌍🌍🌍

 5. इन तीन प्रमुख समूहों के अलावा, साम्राज्य की सीमाओं के भीतर भी रहते थे। 6. इन विविध समूहों को एक साथ बांधने वाला एकमात्र बंधन सम्राट के प्रति सामान्य निष्ठा थी। अभिजात वर्ग और नया मध्यम वर्ग

 1. सामाजिक और राजनीतिक रूप से, महाद्वीप पर जमींदार अभिजात वर्ग प्रमुख वर्ग था।

 2. इस वर्ग के सदस्य क्षेत्रीय विभाजनों से परे एक समान जीवन शैली वाले थे।

 3. उनके परिवार अक्सर विवाह संबंधों से जुड़े होते थे।

 4. हालाँकि, यह शक्तिशाली अभिजात वर्ग संख्यात्मक रूप से एक छोटा समूह था। शहरों का विकास और वाणिज्यिक वर्गों का उदय हुआ जिनका अस्तित्व बाज़ार के लिए उत्पादन पर आधारित था।

 5. इंग्लैंड में औद्योगीकरण अठारहवीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू हुआ, लेकिन फ्रांस और जर्मन राज्यों के कुछ हिस्सों में यह उन्नीसवीं सदी के दौरान ही शुरू हुआ।

 6. इसके परिणामस्वरूप, नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए: एक कामकाजी वर्ग की आबादी, और उद्योगपतियों, व्यापारियों, पेशेवरों से बना मध्यम वर्ग।

 7. यह शिक्षित, उदार मध्य दासों के बीच था कि कुलीन विशेषाधिकारों के उन्मूलन के बाद राष्ट्रीय एकता के विचारों को लोकप्रियता मिली।







उदार राष्ट्रवाद किसके लिए खड़ा था?🌍🌍🌍🌍🌍


 1. उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में यूरोप उदारवाद की विचारधारा से निकटता से जुड़ा हुआ था।

 2. 'उदारवाद' शब्द की उत्पत्ति लैटिन मूल लिबर से हुई है, जिसका अर्थ है स्वतंत्र।

 3. उदारवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के समक्ष सभी की समानता के लिए खड़ा था।

 4. इसने सहमति से सरकार की अवधारणा पर बल दिया।

 5. संसद के माध्यम से एक संविधान और प्रतिनिधि सरकार।

 6. वोट देने और निर्वाचित होने का अधिकार विशेष रूप से संपत्ति के मालिक पुरुषों के लिए उत्पन्न किया गया था।

 7. बिना संपत्ति वाले पुरुषों और सभी महिलाओं को राजनीतिक अधिकारों से बाहर रखा गया था।

 8. महिलाओं और गैर-संपत्ति वाले पुरुषों और महिलाओं ने समान राजनीतिक अधिकारों की मांग करते हुए विपक्षी आंदोलनों का आयोजन किया।

 9. माल और पूंजी की आवाजाही पर राज्य द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को समाप्त करना।

 10. 1833 में एक व्यापारी अपना माल बेचने के लिए हैम्बर्ग से नूर्नबर्ग जा रहा था, उसे किस रास्ते से गुजरना पड़ा?

 11 सीमा शुल्क बाधाएं और उनमें से प्रत्येक पर लगभग 5% सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।

 11. नए वाणिज्यिक वर्गों द्वारा अर्थशास्त्र के आदान-प्रदान और विकास में बाधाएं, जिन्होंने माल, लोगों और पूंजी की निर्बाध आवाजाही की अनुमति देने वाले एकीकृत आर्थिक क्षेत्र के निर्माण के लिए तर्क दिया।

 12. संघ ने टैरिफ बाधाओं को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या तीस से घटाकर दो कर दी।





1815 के बाद एक नया संरक्षण

1. 1815 में नेपोलियन के दोष के बाद यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित हो गईं।

2. हालाँकि, अधिकांश रूढ़िवादियों ने पूर्व-क्रांतिकारी दिनों के समाज में वापसी का प्रस्ताव नहीं रखा।

3. वह आधुनिकीकरण वास्तव में राजशाही जैसी पारंपरिक संस्थाओं को मजबूत कर सकता है।

4. एक आधुनिक सेना, एक कुशल नौकरशाही, एक गतिशील अर्थव्यवस्था, सामंतवाद और दास प्रथा का उन्मूलन यूरोप की निरंकुश राजशाही को मजबूत कर सकता है।

5. 1815 में, यूरोपीय शक्तियों - ब्रिटेन, रूस, प्रशिया और ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधि, जिन्होंने सामूहिक रूप से नेपोलियन को हराया था, यूरोप के लिए एक समझौता करने के लिए वियना में मिले।  6. बॉर्बन राजवंश, जिसे फ्रांसीसी क्रांति के दौरान अपदस्थ कर दिया गया था, सत्ता में बहाल हो गया और फ्रांस ने नेपोलियन के अधीन अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को खो दिया।

7. नेपोलियन द्वारा स्थापित 39 राज्यों का जर्मन परिसंघ अछूता रह गया था।  8. निरंकुश आलोचना और असहमति को बर्दाश्त नहीं करते थे और निरंकुश सरकार की वैधता पर सवाल उठाने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाने की मांग करते थे।






क्रांतिकारी

1. 1815 के बाद के वर्षों के दौरान, दमन के डर ने कई उदार-राष्ट्रवादियों को भूमिगत कर दिया।

2. इस समय क्रांतिकारी का मतलब राजशाही रूपों का विरोध करने और स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता थी।

3. ग्यूसेप माज़िनी, 1807 में जेनोआ में पैदा हुए, वे कार्बोनरी के गुप्त समाज के सदस्य बन गए।

4. लिगुरिया में क्रांति का प्रयास करने के लिए उन्हें 1831 में निर्वासन में भेज दिया गया था।

5. मैज़िनी का मानना ​​था कि ईश्वर ने राष्ट्रों को मानव जाति की प्राकृतिक इकाइयाँ बनाने का इरादा किया था।

6. जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और पोलैंड में गुप्त समितियाँ स्थापित की गईं।

7. मेटरनिख ने उसे 'हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक शत्रु' बताया।  क्रांति का युग: 1830 -1848


1. जैसे-जैसे रूढ़िवादी शासन ने अपनी शक्ति को मजबूत करने की कोशिश की, उदारवाद और राष्ट्रवाद यूरोप के कई क्षेत्रों जैसे कि इतालवी और जर्मन राज्यों, ओटोमन साम्राज्य के प्रांतों, आयरलैंड और पोलैंड में क्रांति के साथ तेजी से जुड़ने लगे।

2. 'जब फ्रांस छींकता है', मेटरनिख ने एक बार टिप्पणी की थी, •शेष यूरोप को सर्दी लग जाती है।

3. एक घटना जिसने पूरे यूरोप में शिक्षित अभिजात वर्ग के बीच राष्ट्रवादी भावनाओं को जागृत किया वह यूनानी स्वतंत्रता संग्राम था।

4. ग्रीस पंद्रहवीं सदी से ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा है.

5. निर्वासन में रहने वाले यूनानी और कई पश्चिमी यूरोपीय भी जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे।

रोमांटिक कल्पना और राष्ट्रीय भावना

 1. राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों और क्षेत्रीय विस्तार से नहीं हुआ।

 2. संस्कृति ने राष्ट्र के विचार को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: कला और कविता, कहानियों और संगीत ने राष्ट्रवादी भावना को व्यक्त करने और आकार देने में मदद की।

  3. आइए रूमानियतवाद को देखें, एक सांस्कृतिक आंदोलन जिसने राष्ट्रवादी भावनाओं का एक विशेष रूप विकसित करने की मांग की।

 4. रोमांटिक कलाकारों और कवियों ने आम तौर पर तर्क और विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की और इसके बजाय भावनाओं, संस्था और रहस्यमय भावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।

 5. अन्य रोमांटिकताएं लोक गीत, लोक कविता और लोक नृत्य के माध्यम से राष्ट्र की सच्ची भावना थीं।

  6. संगीत एवं भाषाओं के माध्यम से राष्ट्रीय भावनाओं को जीवित रखा गया।

  7. करोल कुरपिंस्की ने अपने ओपेरा और संगीत के माध्यम से राष्ट्रीय संघर्षों का जश्न मनाया, पोलोनेस और माजुरका जैसे लोक नृत्यों को राष्ट्रवादी प्रतीकों में बदल दिया।

 8. भाषा ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  9. रूसी भाषा हर जगह थोप दी गई.

  10. पोलैंड में पादरी वर्ग के कई सदस्यों ने भाषा को राष्ट्रीय प्रतिरोध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

  11. परिणामस्वरूप, रूसी भाषा में उपदेश देने से इनकार करने पर सजा के तौर पर रूसी अधिकारियों द्वारा बड़ी संख्या में पुजारियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया या साइबेरिया भेज दिया गया।




भूख, कठिनाई और लोकप्रिय विद्रोह


 1. 1830 के दशक यूरोप में बड़ी आर्थिक कठिनाई के वर्ष थे।

 2. उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में जनसंख्या में भारी वृद्धि देखी गई।

 3. अधिकांश देशों में रोजगार से अधिक नौकरी चाहने वाले थे।

 4. ग्रामीण इलाकों से आबादी भीड़भाड़ वाली झुग्गी-झोपड़ियों में रहने के लिए शहरों की ओर पलायन कर गई।

 5. भोजन की कमी और व्यापक बेरोजगारी ने पेरिस की आबादी को सड़कों पर ला दिया।

 6. नेशनल असेंबली ने गणतंत्र की घोषणा की, 21 वर्ष से ऊपर के सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार दिया और काम करने के अधिकार की गारंटी दी।

 7. इससे पहले, 1845 में, सिलेसिया में बुनकरों ने उन ठेकेदारों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था जो उन्हें कच्चे माल की आपूर्ति करते थे और तैयार कपड़े के ऑर्डर देते थे।

 8. 4 जून को दोपहर 2 बजे. बुनकरों की एक बड़ी भीड़ अपने घरों से निकली और अधिक मजदूरी की मांग करते हुए जोड़े में अपने ठेकेदारों की हवेली तक मार्च किया।

9. ठेकेदार उसके परिवार को लेकर पड़ोसी गांव में भाग गए, लेकिन गांव ने ऐसे व्यक्ति को आश्रय देने से इनकार कर दिया।

 10. वह 24 घंटे बाद सेना की मांग करके वापस लौटा।

 11. इसके बाद हुए आदान-प्रदान में ग्यारह बुनकरों को गोली मार दी गई।

 

 

 1848 उदारवादियों की क्रांति🌍🌍🌍🌍🌍🌍

 1. वर्ष 1848 में कई यूरोपीय देशों में गरीबों, बेरोजगारी और भूखे किसानों और श्रमिकों के बीच शिक्षित मध्यम वर्ग के नेतृत्व में एक क्रांति चल रही थी। 
 2. उदार मध्यम वर्ग के पुरुषों और महिलाओं ने संवैधानिकता की अपनी मांगों को राष्ट्रीय एकीकरण के साथ जोड़ दिया।
  3. उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार किया जिसका नेतृत्व एक संसद के अधीन राजशाही द्वारा किया जाएगा।
 4. प्रशिया के राजा विल्हेम चतुर्थ ने इसे अस्वीकार कर दिया और निर्वाचित सभा का विरोध करने के लिए अन्य राजाओं के साथ शामिल हो गये।
 5. जबकि अभिजात वर्ग और सेना का विरोध मजबूत हो गया, का सामाजिक आधार
  संसद नष्ट हो गई.
 6. महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने का मुद्दा उदारवादी आंदोलन के भीतर एक विवादास्पद मुद्दा था।
  7. महिलाओं ने अपने स्वयं के राजनीतिक संघ बनाए, समाचार पत्र की स्थापना की और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में भाग लिया। 8. महिलाओं को केवल पर्यवेक्षक के रूप में दर्शक दीर्घा में खड़े होने की अनुमति थी।
 9. राजाओं को यह एहसास होने लगा था कि उदार-राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों को रियायतें देकर क्रांति और दमन के चक्र को समाप्त किया जा सकता है।  





जर्मन और इटली जर्मनी का निर्माण - क्या सेना एक राष्ट्रीय की वास्तुकार हो सकती है



 1. 1848 के बाद यूरोप में राष्ट्रवाद लोकतंत्र और क्रांति से अपने जुड़ाव से दूर चला गया।

 2. इसे उस प्रक्रिया में देखा जा सकता है जिसके द्वारा जर्मनी और इटली राष्ट्र-राज्य के रूप में एकीकृत हुए।

 3. मध्यवर्गीय जर्मनों में राष्ट्रवादी भावनाएँ व्यापक थीं।

 4. हालाँकि, राष्ट्र-निर्माण की इस उदार पहल को प्रशिया के बड़े जमींदारों द्वारा समर्थित राजशाही और सेना की संयुक्त सेनाओं द्वारा दबा दिया गया था। 5. प्रशिया ने आन्दोलन का नेतृत्व संभाला।

 6. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस के साथ वर्षों तक चले तीन युद्ध प्रशिया की जीत में समाप्त हुए और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।

 7. जर्मनी में राष्ट्र-निर्माण प्रक्रिया ने प्रशिया राज्य शक्ति के प्रभुत्व को प्रदर्शित किया था।

 8. नए राज्य ने जर्मनी में मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी और न्यायिक प्रणालियों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया।
इटली एकीकृत


 1. जर्मनी की तरह इटली में भी राजनीतिक विखंडन का एक लंबा इतिहास रहा है।

 2. इटालियंस कई राजवंशीय राज्यों के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में भी बिखरे हुए थे।

 3. इटली सात राज्यों में विभाजित था।

 4. इटालियन भाषा ने एक सामान्य रूप प्राप्त नहीं किया था और इसमें अभी भी कई क्षेत्रीय और स्थानीय विविधताएँ थीं।

 5. ग्यूसेप माज़िनी ने एकात्मक इतालवी गणराज्य के लिए एक सुसंगत कार्यक्रम तैयार करने की मांग की थी।

 6. अपने लक्ष्यों के प्रसार के लिए युवा इटली।

 7. 1831 और 1848 दोनों में क्रांतिकारी विद्रोह की विफलता का मतलब था कि युद्ध के माध्यम से इतालवी राज्यों को एकजुट करने का दायित्व अब इसके शासक राजा विक्टर इमैनुएल द्वितीय के अधीन सैडिनिया-पीडमोंट पर आ गया।

 8. इटली ने उन्हें आर्थिक विकास और राजनीतिक प्रभुत्व की संभावना की पेशकश की।

 9. इटली न तो क्रांतिकारी था और न ही लोकतंत्रवादी।

 10. इतालवी आबादी, जिनमें निरक्षरता की दर अधिक थी, उदार-राष्ट्रवादी विचारधारा से अनभिज्ञ रही।  
ब्रिटेन का अजीब मामला







 1. कुछ विद्वानों ने तर्क दिया है कि राष्ट्र या राष्ट्र-राज्य का मॉडल ग्रेट ब्रिटेन है।

 2. यह एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम था। 3. अठारहवीं शताब्दी से पहले कोई ब्रिटिश राष्ट्र नहीं था।

 4. 'यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का वास्तव में मतलब यह था कि इंग्लैंड स्कॉटलैंड पर अपना प्रभाव डालने में सक्षम था।

 5. अब से ब्रिटिश संसद पर अंग्रेजी सदस्यों का प्रभुत्व हो गया।

 6. 1801 में आयरलैंड को जबरन यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया।

 7. ब्रिटिश ध्वज, राष्ट्रगान, अंग्रेजी भाषा को सक्रिय रूप से प्रचारित किया गया और पुराने राष्ट्र इस संघ में केवल अधीनस्थ भागीदार के रूप में जीवित रहे। राष्ट्र की कल्पना करना







 1. जबकि किसी शासक को चित्र या मूर्ति के माध्यम से प्रस्तुत करना काफी आसान था।

 2. दूसरे शब्दों में उन्होंने एक देश का प्रतिनिधित्व इस तरह किया मानो वह कोई व्यक्ति हो।

 3. राष्ट्रों को तब एक महिला आकृति के रूप में चित्रित किया गया था।

 4. महिला आकृतियाँ राष्ट्र का रूपक बन गईं।

 5. क्रिस्टेनड मैरिएन, एक लोकप्रिय ईसाई नाम, जिसने लोगों के राष्ट्र के विचार को रेखांकित किया।  
राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद





 1. उन्नीसवीं सदी के चौथे भाग तक राष्ट्रवाद ने सदी के पूर्वार्द्ध की अपनी आदर्शवादी उदार-लोकतांत्रिक भावना को बरकरार नहीं रखा, बल्कि सीमित लक्ष्यों वाला एक संकीर्ण पंथ बन गया।

 2. 1871 के बाद यूरोप में राष्ट्रवादियों के तनाव का सबसे गंभीर स्रोत बाल्कन नामक क्षेत्र था।

 3. बाल्कन भौगोलिक और जातीय विविधता वाला क्षेत्र था।

 4. एक-एक करके उसकी यूरोपीय प्रजा की राष्ट्रीयताएँ उसके नियंत्रण से अलग हो गईं और उसने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।

 5. बाल्कन क्षेत्र तीव्र संघर्ष का युग बन गया।

 6. बाल्कन राज्य एक-दूसरे से ईर्ष्या करते थे और प्रत्येक एक-दूसरे की कीमत पर अधिक क्षेत्र हासिल करने की आशा रखते थे।

 7. लेकिन यह विचार कि समाजों को 'राष्ट्र-राज्यों' में संगठित किया जाना चाहिए, स्वाभाविक और सार्वभौमिक माना जाने लगा। 🌍🌍🌍🌍🌍🌍🌍

 
  








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